हिरामन ने झट-से सम्हाल दिया, ''हीरादेवी किधर रहती है, बता सकते हैं?'' उस आदमी की आँखें हठात लाल हो गई। सामने खड़े नेपाली सिपाही को पुकारकर कहा, ''इन लोगों को क्यों आने दिया इधर?''
''हिरामन!'' वही फेनूगिलासी आवाज किधर से आई? खेमे के परदे को हटाकर हीराबाई ने बुलाया, यहाँ आ जाओ, अंदर! देखो, बहादुर! इसको पहचान लो। यह मेरा हिरामन है। समझे?''
नेपाली दरबान हिरामन की ओर देखकर जरा मुस्कराया और चला गया। काले कोटवाले से जाकर कहा, ''हीराबाई का आदमी है। नहीं रोकने बोला!''
लालमोहर पान ले आया नेपाली दरबान के लिए, ''खाया जाए!''
''इस्स! एक नहीं, पाँच पास। चारों अठनिया! बोली कि जब तक मेले में हो, रोज रात में आकर देखना। सबका खयाल रखती है। बोली कि तुम्हारे और साथी है, सभी के लिए पास ले जाओ। कंपनी की औरतों की बात निराली होती है! है या नहीं?''
लालमोहर ने लाल कागज के टुकड़ों को छूकर देखा, ''पा-स! वाह रे हिरामन भाई! लेकिन पाँच पास लेकर क्या होगा? पलटदास तो फिर पलटकर आया ही नहीं है अभी तक।''
हिरामन न कहा, ''जाने दो अभागे को। तकदीर में लिखा नहीं। हाँ, पहले गुरुकसम खानी होगी सभी को, कि गाँव-घर में यह बात एक पंछी भी न जान पाए।''
लालमोहर ने उत्तेजित होकर कहा, ''कौन साला बोलेगा, गाँव में जाकर? पलटा ने अगर बदनामी की तो दूसरी बार से फिर साथ नहीं लाऊँगा।''
हिरामन ने अपनी थैली आज हीराबाई के जिम्मे रख दी है। मेले का क्या ठिकाना! किस्म-किस्म के पाकिटकाट लोग हर साल आते हैं। अपने साथी-संगियों का भी क्या भरोसा! हीराबाई मान गई। हिरामन के कपड़े की काली थैली को उसने अपने चमड़े के बक्स में बंद कर दिया। बक्से के ऊपर भी कपड़े का खोल और अंदर भी झलमल रेशमी अस्तर! मन का मान-अभिमान दूर हो गया।
लालमोहर और धुन्नीराम ने मिलकर हिरामन की बुद्धि की तारीफ की; उसके भाग्य को सराहा बार-बार। उसके भाई और भाभी की निंदा की, दबी जबान से।
हिरामन के जैसा हीरा भाई मिला है, इसीलिए! कोई दूसरा भाई होता तो।''
लहसनवाँ का मुँह लटका हुआ है। एलान सुनते-सुनते न जाने कहाँ चला गया कि घड़ी-भर साँझ होने के बाद लौटा है। लालमोहर ने एक मालिकाना झिड़की दी है, गाली के साथ- ''सोहदा कहीं का!''
धुन्नीराम ने चुल्हे पर खिचड़ी चढ़ाते हुए कहा, ''पहले यह फैसला कर लो कि गाड़ी के पास कौन रहेगा!''
''रहेगा कौन, यह लहसनवाँ कहाँ जाएगा?''
लहसनवाँ रो पड़ा, ''ऐ-ए-ए मालिक, हाथ जोड़ते हैं। एक्को झलक! बस, एक झलक!
हिरामन न उदारतापूर्वक कहा, ''अच्छा-अच्छा, एक झलक क्यों, एक घंटा देखना। मैं आ जाऊँगा।''
नौटंकी शुरू होने के दो घंटे पहले ही नगाड़ा बजना शुरू हो जाता है। और नगाड़ा शुरू होते ही लोग पतिंगों की तरह टूटने लगते हैं। टिकटघर के पास भीड़ देखकर हिरामन को बड़ी हँसी आई, ''लालमोहर, उधर देख, कैसी धक्कमधुक्की कर रहे हैं लोग!''
''हिरामन भाय!''
''कौन, पलटदास! कहाँ की लदनी आए?'' लालमोहर ने पराए गाँव के आदमी की तरह पूछा।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217