धुन्नीराम की स्वगतोक्ति सभी ने सुनी, हीराबाई ने भी, गाड़ी-बैल छोड़कर नौटंकी कैसे देख सकता है कोई गाड़ीवान, मेले में?
हिरामन ने रूपया लेते हुए कहा, ''क्या बोलेंगे!'' उसने हँसने की चेष्टा की। कंपनी की औरत कंपनी में जा रही है। हिरामन का क्या! बक्सा ढोनेवाला रास्ता दिखाता हुआ आगे बढ़ा, ''इधर से।'' हीराबाई जाते-जाते रुक गई। हिरामन के बैलों को संबोधित करके बोली, ''अच्छा, मैं चली भैयन।''
बैलों ने, भैया शब्द पर कान हिलाए।
''? ? !''
''भा-इ-यो, आज रात! दि रौता संगीत कंपनी के स्टेज पर! गुलबदन देखिए, गुलबदन! आपको यह जानकर खुशी होगी कि मथुरामोहन कंपनी की मशहूर एक्ट्रेस मिस हीरादेवी, जिसकी एक-एक अदा पर हजार जान फिदा हैं, इस बार हमारी कंपनी में आ गई हैं। याद रखिए। आज की रात। मिस हीरादेवी गुलबदन!''
नौटंकीवालों के इस एलान से मेले की हर पट्टी में सरगर्मी फैल रही है। हीराबाई? मिस हीरादेवी? लैला, गुलबदन? फिलिम एक्ट्रेस को मात करती है।
तेरी बाँकी अदा पर मैं खुद हूँ फिदा,
तेरी चाहत को दिलबर बयाँ क्या करूँ!
यही ख्वाहिश है कि इ-इ-इ तू मुझको देखा करे
और दिलोजान मैं तुमको देखा करूँ।
किर्र-र्र-र्र-र्र क़ड़ड़ड़डड़ड़ड़र्र-घन-घन-धड़ाम।
हर आदमी का दिल नगाड़ा हो गया है।
लालमोहर दौड़ता-हाँफता बासा पर आया- ''ऐ, ऐ हिरामन, यहाँ क्या बैठे हो, चलकर देखो जै-जैकार हो रहा है! मय बाजा-गाजा, छापी-फाहरम के साथ हीराबाई की जै-जैकार कर रहा हूँ।''
हिरामन हड़बड़ाकर उठा। लहसनवाँ ने कहा, ''धुन्नी काका, तुम बासा पर रहो, मैं भी देख आऊँ।''
धुन्नी की बात कौन सुनता है। तीनों जन नौटंकी कंपनी की एलानिया पार्टी के पीछे-पीछे चलने लगे। हर नुक्कड़ पर रुककर, बाजा बंद करके एलान किया जाना है। एलान के हर शब्द पर हिरामन पुलक उठता है। हीराबाई का नाम, नाम के साथ अदा-फिदा वगैरह सुनकर उसने लालमोहर की पीठ थपथपा दी, ''धन्न है, धन्न है! है या नहीं?''
लालमोहर ने कहा, ''अब बोलो! अब भी नौटंकी नहीं देखोगे?'' सुबह से ही धुन्नीराम और लालमोहर समझा रहे थे, समझाकर हार चुके थे, ''कंपनी में जा कर भेंट कर आओ। जाते-जाते पुरसिस कर गई है।'' लेकिन हिरामन की बस एक बात, ''धत्त, कौन भेंट करने जाए! कंपनी की औरत, कंपनी में गई। अब उससे क्या लेना-देना! चीन्हेगी भी नहीं!''
वह मन-ही-मन रूठा हुआ था। एलान सुनने के बाद उसने लालमोहर से कहा, ''जरूर देखना चाहिए, क्यों लालमोहर?''
दोनों आपस में सलाह करके रौता कंपनी की ओर चले। खेमे के पास पहुँचकर हिरामन ने लालमोहर को इशारा किया, पूछताछ करने का भार लालमोहर के सिर। लालमोहर कचराही बोलना जानता है। लालमोहर ने एक काले कोटवाले से कहा, ''बाबू साहेब, जरा सुनिए तो!''
काले कोटवाले ने नाक-भौं चढ़ाकर कहा- ''क्या है? इधर क्यों?''
लालमोहर की कचराही बोली गड़बड़ा गई, तेवर देखकर बोला, ''गुलगुल नहीं-नहीं बुल-बुल नहीं।''
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217