एक नहीं, अब चार हिरामन! चारों ने अचरज से एक-दूसरे को देखा। कंपनी नाम में कितना असर है! हिरामन ने लक्ष्य किया, तीनों एक साथ सटक-दम हो गए। लालमोहर ने जरा दूर हटकर बतियाने की इच्छा प्रकट की, इशारे से ही। हिरामन ने टप्पर की ओर मुँह करके कहा, ''होटिल तो नहीं खुला होगा कोई, हलवाई के यहाँ से पक्की ले आवें!''
''हिरामन, जरा इधर सुनो। म़ैं कुछ नहीं खाऊँगी अभी। लो, तुम खा आओ।''
''क्या है, पैसा? इस्स!'' पैसा देकर हिरामन ने कभी फारबिसगंज में कच्ची-पक्की नहीं खाई। उसके गाँव के इतने गाड़ीवान हैं, किस दिन के लिए? वह छू नहीं सकता पैसा। उसने हीराबाई से कहा, ''बेकार, मेला-बाजार में हुज्जत मत कीजिए। पैसा रखिए।'' मौका पाकर लालमोहर भी टप्पर के करीब आ गया। उसने सलाम करते हुए कहा, ''चार आदमी के भात में दो आदमी खुसी से खा सकते हैं। बासा पर भात चढ़ा हुआ है। हें-हें-हें ! हम लोग एकहि गाँव के हैं। गाँवो-गिरामिन के रहते होटिल और हलवाई के यहाँ खाएगा हिरामन?''
हिरामन ने लालमोहर का हाथ टीप दिया, ''बेसी भचर-भचर मत बको।''
गाड़ी से चार रस्सी दूर जाते-जाते धुन्नीराम ने अपने कुलबुलाते हुए दिल की बात खोल दी, ''इस्स! तुम भी खूब हो हिरामन! उस साल कंपनी का बाघ, इस बार कंपनी की जनानी!''
हिरामन ने दबी आवाज में कहा, ''भाई रे, यह हम लोगों के मुलुक की जनाना नहीं कि लटपट बोली सुनकर भी चुप रह जाए। एक तो पच्छिम की औरत, तिस पर कंपनी की!''
धुन्नीराम ने अपनी शंका प्रकट की, ''लेकिन कंपनी में तो सुनते हैं पतुरिया रहती है।''
''धत्!'' सभी ने एक साथ उसको दुरदुरा दिया, ''कैसा आदमी है! पतुरिया रहेगी कंपनी में भला! देखो इसकी बुद्धि। सुना है, देखा तो नहीं है कभी!''
धुन्नीराम ने अपनी गलती मान ली। पलटदास को बात सूझी, ''हिरामन भाई, जनाना जात अकेली रहेगी गाड़ी पर? कुछ भी हो, जनाना आखिर जनाना ही है। कोई जरूरत ही पड़ जाए!''
यह बात सभी को अच्छी लगी। हिरामन ने कहा, ''बात ठीक है। पलट, तुम लौट जाओ, गाड़ी के पास ही रहना। और देखो, गपशप जरा होशियारी से करना। हाँ!''
हिरामन की देह से अतर-गुलाब की खुशबू निकलती है। हिरामन करमसौड़ है। उस बार महीनों तक उसकी देह से बघाइन गंध नहीं गई। लालमोहर ने हिरामन की गमछी सूँघ ली, ''ए-ह!''
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हिरामन चलते-चलते रूक गया- ''क्या करें लालमोहर भाई, जरा कहो तो! बड़ी जि करती है, कहती है, नौटंकी देखना ही होगा।''
''फोकट में ही?''
''और गाँव नहीं पहुँचेगी यह बात?''
हिरामन बोला, ''नहीं जी! एक रात नौटंकी देखकर जिंदगी-भर बोली-ठोली कौन सुने? देसी मुर्गी विलायती चाल!''
धुन्नीराम ने पूछा, ''फोकट में देखने पर भी तुम्हारी भौजाई बात सुनाएगी?''
लालमोहर के बासा के बगल में, एक लकड़ी की दुकान लादकर आए हुए गाड़ीवानों का बासा है। बासा के मीर-गाड़ीवान मियाँजान बूढ़े ने सफरी गुड़गुड़ी पीते हुए पूछा, ''क्यों भाई, मीनाबाजार की लदनी लादकर कौन आया है?''
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
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