परिशिष्ट (ख) अंतर्कथाएँ
श्रीदामा
श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय और प्रधान गोप-सखा जो बाल-केलि और गोचरण की लीला में सदैव
उनके साथ रहे |
`सूरसागर' के अनुसार कालियदमन लीला का तत्काल कारण उस कंदुक-क्रीड़ामें आ उपस्थित
होता है जिसमें श्रीकृष्ण ने श्रीदामा की गेंद कालियदह में फेंक दी थी और श्रीदामा
ने वापस देने का आग्रह किया था | तभी श्रीकृष्ण गेंद लेने के लिए कालियदह में कूद
पड़े थे | ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्रीदामा के शाप के कारण ही राधा और कृष्ण
को अवतार लेना पड़ा था |
संकर्षण
बलराम वसुदेव के ज्येष्ठ पुत्र, जो पहले देवकी के गर्भ में आए थे, परन्तु विष्णु की
माया से देवकी का गर्भ संकर्षित होकर रोहिणी में स्थापित हो गया था | इसलिए जब ये
नंद के यहाँ रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए, तब गर्ग ने इनका नाम संकर्षण रखा | ये
चार व्यूहों--वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न ओर अनिरुद्ध--में से एक है जो दुष्टों
का संहार करते है | बलराम उद्धत-स्वभाव और मद्यप्रिय कहे गये हैं | हल और मूसल
इनके अस्त्र हैं | इसी कारण ये हलधर भी कहे जाते हैं |
सकट
शकट-छकड़ा या गाड़ी, परन्तु यहाँ वह छकड़ा जिसे पालने में लेटे शिसु कृष्ण ने पैर
उछालकर गिरा दिया था जिससे वह चूर चूर हो गया था और उसमें रखे दुध-दही आदि
के अनेक बर्तन टूट-फूट गए थे | इस विस्मयजनक कार्य पर किसी को विश्वास हुआ,
किसी को नहीं | यशोदा ने उसे ग्रहों का उत्पात समझा और स्वस्तवाचन कराया |
`सूरसागर; में इसे भी कंस का भेजा एक असुर (शकटासुर) कहा गया है |
सनक
सनक, सनंदन, सनातन, सनत्कुमार में से एक | ये ब्रह्मा के मानस पुत्र तथा विष्णु के
परम भक्त विख्यात हैं, इन लोगों के भक्ति में निरत हो जाने के कारण ब्रह्मा को अन्य
पुत्रों की उत्पत्ति करनी पड़ी थी | ये विष्णु के सभासद भी कहे जाते हैं | विष्णु
के द्वारपाल जय-विजय द्वारा रोके जाने पर इन्होंने ही उन्हें असुर होने तथा तीसरे
जन्म में उद्धार पाने का शाप और वरदान दिया था | इन चारों में सनत्कुमार सबसे अधिक
प्रदिद्ध हैं | चारों को प्रायः सनकादि कहकर अभिहित किया जाता है |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217