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सूरदास

सूरसागर

परिशिष्ट (ख) अंतर्कथाएँ

श्रीदामा

श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय और प्रधान गोप-सखा जो बाल-केलि और गोचरण की लीला में सदैव
उनके साथ रहे |
`सूरसागर' के अनुसार कालियदमन लीला का तत्काल कारण उस कंदुक-क्रीड़ामें आ उपस्थित
होता है जिसमें श्रीकृष्ण ने श्रीदामा की गेंद कालियदह में फेंक दी थी और श्रीदामा
ने वापस देने का आग्रह किया था | तभी श्रीकृष्ण गेंद लेने के लिए कालियदह में कूद
पड़े थे | ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्रीदामा के शाप के कारण ही राधा और कृष्ण
को अवतार लेना पड़ा था |

 संकर्षण

बलराम वसुदेव के ज्येष्ठ पुत्र, जो पहले देवकी के गर्भ में आए थे, परन्तु विष्णु की
माया से देवकी का गर्भ संकर्षित होकर रोहिणी में स्थापित हो गया था | इसलिए जब ये
नंद के यहाँ रोहिणी के गर्भ से उत्पन्न हुए, तब गर्ग ने इनका नाम संकर्षण रखा | ये
चार व्यूहों--वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न ओर अनिरुद्ध--में से एक है जो दुष्टों
का संहार करते है | बलराम उद्धत-स्वभाव और मद्यप्रिय कहे गये हैं | हल और मूसल
इनके अस्त्र हैं | इसी कारण ये हलधर भी कहे जाते हैं |

सकट

शकट-छकड़ा या गाड़ी, परन्तु यहाँ वह छकड़ा जिसे पालने में लेटे शिसु कृष्ण ने पैर
उछालकर गिरा दिया था जिससे वह चूर चूर हो गया था और उसमें रखे दुध-दही आदि
के अनेक बर्तन टूट-फूट गए थे | इस विस्मयजनक कार्य पर किसी को विश्वास हुआ,
किसी को नहीं | यशोदा ने उसे ग्रहों का उत्पात समझा और स्वस्तवाचन कराया |
`सूरसागर; में इसे भी कंस का भेजा एक असुर (शकटासुर) कहा गया है |

सनक

सनक, सनंदन, सनातन, सनत्कुमार में से एक | ये ब्रह्मा के मानस पुत्र तथा विष्णु के
परम भक्त विख्यात हैं, इन लोगों के भक्ति में निरत हो जाने के कारण ब्रह्मा को अन्य
पुत्रों की उत्पत्ति करनी पड़ी थी | ये विष्णु के सभासद भी कहे जाते हैं | विष्णु
के द्वारपाल जय-विजय द्वारा रोके जाने पर इन्होंने ही उन्हें असुर होने तथा तीसरे
जन्म में उद्धार पाने का शाप और वरदान दिया था | इन चारों में सनत्कुमार सबसे अधिक
प्रदिद्ध हैं | चारों को प्रायः सनकादि कहकर अभिहित किया जाता है |

 

National Record 2012

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