देखत नंद कान्ह अति सोवत |
भूखे गए आजु बन भीतर, यह कहि-कहि मुख जोवत ||
कह्यौ नहीं मानत काहू कौ, आपु हठी दोऊ बीर |
बार-बार तनु पोंछत कर सौं, अतिहिं प्रेम की पीर ||
सेज मँगाइ लई तहँ अपनी, जहाँ स्याम-बलराम |
सूरदास प्रभु कैं ढिग सोए, सँग पौढ़ी नँद-बाम ||
भावार्थ:--श्रीनन्दजी देख रहे हैं कि कन्हाई गाढ़ी निद्रामें सो रहे हैं |`आज यह वन
में भूखा ही गया था |' यह कह-कहकर (अपने लालका) मुख देखते हैं |`ये दोनों भाई अपनी
ही हठ करनेवाले हैं, दूसररे किसी का कहना नहीं मानते |' (यह कहते हुए व्रजराज) बार
बार हाथसे (पुत्रोंका) शरीर पोंछते (सहलाते) हैं, प्रेमकी अत्यन्त पीड़ा उन्हें हो
रही है | जहाँ श्याम-बलराम सो रहे थे, वहीं अपनी भी शय्या उन्होंने मँगा ली |
सूरदासजी कहते हैं कि (आज) व्रजराज मेरे स्वामीके पास ही सोये, श्रीनन्दरानी भी
(वहाँ) पुत्रोंके साथ ही सोयीं |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217