राग बिलावल
जागौ हो तुम नँद-कुमार !
हौं बलि जाउँ मुखारबिंद की, गो-सुत मेलौ खरिक सम्हार ||
अब लौं कहा सोए मन-मोहन, और बार तुम उठत सबार |
बारहि-बार जगावति माता, अंबुज-नैन! भयौ भिनुसार ||
दधि मथि खै माखन बहु दैहौं, सकल ग्वाल ठाढ़े दरबार |
उठि कैं मोहन बदन दिखावहु, सूरदास के प्रान-अधार ||
भावार्थ :-- माता बार-बार जगा रही हैं -`कमलनयन !उठो, सबेरा हो गया |
नंदनन्दन ! तुम जागो | मैं तुम्हारे मुखकमलपर बलिहारी जाती हूँ, बछड़ोंको सँभालकर
गोष्ठमेंपहुँचा दो | मनमोहन ! अबतक तुम क्या सोये हो, दूसरे दिनोंतो तुम सबेरे ही
उठ जाते थे | दही मथकर मैं तुम्हें बहुत-सा मक्खन दूँगी, (देखो) सभी ग्वाल-बालक
द्वार पर खड़े हैं | उठकर (उन्हें) अपना मनोमोहक मुख तो दिखलाओ |' सूरदासजी कहते
हैं कि मेरे तो तुम प्राणाधार ही हो |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217