राग कान्हरू
मैं दुहिहौं मोहि दुहन सिखावहु |
कैसैं गहत दोहनी घुटुवनि, कैसैं बछरा थन लै लावहु ||
कैसै लै नोई पग बाँधत, कैसैं लै गैया अटकावहु |
कैसैं धार दूध की बाजति, सोइ-सोइ बिधि तुम मोहि बतावहु ||
निपट भई अब साँझ कन्हैया, गैयनि पै कहुँ चोट लगावहु |
सूर स्याम सों कहत ग्वाल सब, धेनु दुहन प्रातहिं उठि आवहु ||
भावार्थ :-- (श्यामसुन्दर गोपोंसे कहते हैं-) `मैं गाय दुहूँगा, मुझे दुहना सिखला
दो | दोहनी घुटनों में कैसे पकड़ते हो? बछड़ेको लाकर थनसे कैसे लगाते हो? नोई
(पैर बाँधनेकी रस्सी) लेकर (गायके पिछले दोनों) पैरोंको कैसे बाँधते हो ? गायको ही
लाकर कैसे (उछलते-कूदनेसे) अटकाये (रोके) रहते हो? दूधकी धार (बर्तनमें) शब्द कैसे
करती है, तुमलोग जो कुछ करते हो, वह सारा ढंग मुझे बतलाओ|' सूरदासजी कहते हैं
कि श्यामसुन्दरसे गोपलोग कह रहे हैं-` कन्हाई ! अब एकदम संध्या हो गयी है, कहीं
तुम गायोंसे चोट लगा लोगे; गाय दुहना है तो सबेरे ही उठकर आ जाना |'
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217