राग गूजरी
जसोदा ! कान्हहु तैं दधि प्यारौ |
डारि देहि कर मथत मथानी, तरसत नंद-दुलारी ||
दूध-दही-मक्खन लै वारौं, जाहि करति तू गारौ |
कुम्हिलानौ मुख-चंद देखि छबि, कोह न नैकु निवारौ ||
ब्रह्म, सनक, सिव ध्यान न पावत, सो ब्रज गैयनि चारौ |
सूर स्याम पर बलि-बलि जैऐ, जीवन-प्रान हमारौ ||
भावार्थ :-- सूरदासजी कहते हैं (बलरामजी कह रहे हैं -) `यशोदा मैया ! कन्हाईसे
भी तुझे दही प्यारा है ? दही मथनेकी मथानी हाथसे रखदे; देख, नन्दनन्दन (छूटनेको)
तरस रहा है (इसे पहले छोड़ दे )! तू जिसपर गर्व करती है, वह दूध, दही, मक्खन लेकर
मैं इसपर न्यौछावर कर दूँ | इसके मलिन हुए चन्द्रमुख की शोभा देखकर अपने क्रोधको
कुछ कम नहीं करती ?
ब्रह्मा, सनकादि ऋषि तथा (साक्षात) शंकरजी तो जिसे ध्यानमें (भी) नहीं पाते, वही
व्रजमें गायें चराता है | श्यामसुन्दर हमारा जीवन और प्राण है, इसपर तो बार-बार
न्योछावर हो जाना चाहिये |'
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217