चले सब गाइ चरावन ग्वाल |
हेरी-टेर सुनत लरिकनि के, दौरि गए नँदलाल ||
फिरि इत-उत जसुमति जो देखै, दृष्टि न पैर कन्हाई |
जान्यौ जात ग्वाल सँग दौर्यौ, टेरति जसुमति धाई ||
जात चल्यौ गैयनि के पाछें, बलदाऊ कहि टेरत |
पाछैं आवति जननी देखी, फिरि-फिरि इत कौं हेरत ||
बल देख्यौ मोहन कौं आवत, सखा किए सब ठाढ़े |
पहुँची आइ जसोदा रिस भरि, दोउ भुज पकरे गाढ़े ||
हलधर कह्यौ, जान दै मो सँग, आवविं आज-सवारे |
सूरदास बल सौं कहै जसुमति, देखे रहियौ प्यारे ||
भावार्थ :-- सब गोपबालक गाय चराने चले | बालकोंके द्वारा उच्चारित गायोंको पुकारने
का शब्द सुनते ही नन्दनन्दन भी दौड़ कर चले गये | फिर यशोदाजी जो इधर-उधर देखने
लगीं तो कन्हाई कहीं दीखते ही न थे |
यह जानकर कि वह गोपबालकों के साथ भागा जा रहा है, यशोदाजी पुकारते हुए दौड़ पड़ीं |
यह कहकर पुकारने लगीं कि `बलराम! देखो, कृष्ण गायोंके पीछे चला जा रहा है (उसे
रोको) `मोहनने माताको पीछे आते देखा तो बार-बार घूमकर उधरको ही देखते हैं |
बलरामजी ने श्यामको आते देखा तो सब सखाओं को खड़ा कर लिया | (इतनेमें)
यशोदाजी आ पहुँची, क्रोधमें भरकर उन्होंने (श्यामके) दोनों हाथ कसकर पकड़ लिये |
बलरामजी बोले-(इसे) साथ जाने दे, आज शीध्र ही हम सब लौट आयेंगे |' सूरदासजी कहते
हैं, श्रीयशोदाजी बलरामजीसे बोलीं--प्यारे कन्हाईको देखते रहना (इस छोटे भाईकी
सँभाल रखना) |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217