राग नट
मोहन ! हौं तुम ऊपर वारी |
कंठ लगाइ लिये, मुख चूमति, सुंदर स्याम बिहारी ||
काहे कौं ऊखल सौं बाँध्यौ, कैसी मैं महतारी |
अतिहिं उतंग बयारि न लागत, क्यौं टूटे तरु भारी ||
बारंबार बिचारति जसुमति , यह लीला अवतारी |
सूरदास स्वामी की महिमा, कापै जाति बिचारी ||
भावार्थ :--`मोहन ! मैं तुम्हारे ऊपर न्योछावर हूँ !' (यह कहकर मैयाने) लीला-विहारी
श्यामसुन्दरको गलेसे लगा लिया और उनका मुख चुम्बन करने लगीं | ~मैंने क्यों तुम्हें
ऊखलमें बाँध दिया, मैं कैसी (निष्ठुर) माता हूँ | ये वृक्ष तो बड़े ऊँचे हैं,इन्हें
हवा भी नहीं लगती (आँधीमें भी ये झुकते नहीं थे) ऐसे भारी वृक्ष कैसे टूट गये ?'
यशोदाजी यही बार-बार विचार कर रही है | सूरदासजी कहते हैं-मेरे स्वामीकी यह तो
अवतार लीला है; उनकी महिमा भला, किससे सोची (समझी) जा सकती है ?
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217