राग सारंग
सुनहु बात मेरी बलराम |
करन देहु इन की मोहि पूजा, चोरी प्रगटत नाम ||
तुमही कहौ, कमी काहे की, नब-निधि मेरैं धाम |
मैं बरजति, सुत जाहु कहूँ जनि, कहि हारी दिन -जाम ||
तुमहु मोहि अपराध लगायौ, माखन प्यारौ स्याम |
सुनि मैया, तोहि छाँड़ि कहौं किहि, को राखै तेरैं ताम ||
तेरी सौं, उरहन लै आवतिं झूठहिं ब्रज की बाम |
सूर स्याम अतिहीं अकुलाने, कब के बाँधे दाम ||
भावार्थ :-- (माता कहती हैं -) `बलराम ! मेरी सुनो | मुजे इनकी पूजा कर लेने
दो; क्योंकि अब ये चोरीमें अपना नाम प्रसिद्ध करने लगे हैं | मेरे घरमें नवों
निधियाँ हैं; तुम्हीं बताओ, यहाँ किसका अभाव है ? मैं मना करती हूँ -पुत्र!
कहीं मत जाओ ! किंतु रात-दिन कहते कहते हार गयी | तुम भी मुझे ही दोष
लगाते हो कि मुझे श्यामसे भी मक्खन प्यारा है !' (बलरामजी कहते हैं-) मैया ! सुन
तुझे छोड़कर और किसको कहूँ, तेरे क्रोध करनेपर दूसरा कौन रक्षा कर सकता है ?
तेरी शपथ ! ये व्रजकी स्त्रियाँ झूठ-मूठ ही उलाहना लेकरे आती है |' सूरदासजी कहते
हैं -श्यामसुन्दर कबसे रस्सीमें बँधे हैं ? अब तो वे अत्यन्त व्याकुल हो गये हैं |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217